deepfake technology kya hai

deepfake

डीपफेक टेक्नोलॉजी क्या है?

अगर डीपफेक टेक्नोलॉजी की बात करें तो ये एक। एक मॉडर्न टेक्नोलॉजी है, जिसके माध्यम से आप मुख्य तौर पर किसी तस्वीर को ऑडियो को अपने लिहाज से बदल सकते हैं। आप उसमें बदलाव कर सकते हैं, इसके अलावा इसका जो इसको जो बनाया जाता है। कंप्यूटर से नहीं बनाया जाता है। बहुत महत्वपूर्ण कंप्यूटर होते है बहुत शक्तिशाली पावरफुल कंप्यूटर्स होते हैं, जिनके जरिए डीप टेक्नोलॉजी को अंजाम दिया जाता है। अगर इसकी उत्पत्ति की बात करें इसके ओरिजिन की बात करें तो इस शब्द का जो परिजन है वो हमें 2017 में देखने को मिलता है। जब एक रेड्यूसर रेड एक सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म था तो एक रेडिट युजर्सर था जो की अपने नाम के नाम को डीप। नाम से अपने आप को संबोधित करता था। रेडिट यूज़र था। ये अपने प्लैटफॉर्म पर विडीओ उसको अपलोड करता था, उन्हें पोस्ट करता था और इसको पोस्ट करने के लिए यह गूगल और । गूगल सोर्स प्लैटफॉर्म है या फिर दूसरी जो टेक्नोलॉजी है उसका इस्तेमाल करता था और यहीं से शब्द की उत्पत्ति होती है की डी पे क्या होता है?

इसकी ऐप्लिकेशन क्या है?

डीपफेक इसके अनुप्रयोग

अगर इसके इस्तेमाल की बात करें तो फेक न्यूज़ फैलाने में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। आपने देखा होगा कि झूठे टेक्नोलॉजी सोशल मीडिया बहुत बड़ी है तो इस यही एक यूज़ के जरिए भी हो सकता है। किसी व्यक्ति के साथ धोखाधड़ी करने के लिए स्कैन करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

इसके अलावा जो कल्पना होती है और जो रिऐलिटि होती है, इसे डीप ब्रेक की वजह से कल्पना यानी की इमैजिनेशन और जो वास्तविकता है उसके बीच का। समाप्त हो जाता हैै। आप के लिए यदि कोई कोई व्यक्ति है जो है आपकी तस्वीर को डीपी के जरिये चेंज कर देगा तो आपके लिए असली तस्वीर को और जो चेंज की गई है। तस्वीर के बीच अंतर पता लगाना बहुत ज्यादा मुश्किल हो जाएगा तो इसके माध्यम से किसी व्यक्ति की छवि खराब करने की कोशिश की जाती है।

आपको याद होगा राहुल गाँधी की तस्वीर वायरल हुई थी तो उसकी उसमें मुख्य तौर पर इस्तेमाल किया गया था। इसके अलावा जो चर्चित हस्तियां होती है, जिससे होते हैं उनकी छवि खराब करने के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाता है।

डीपफेक सकारात्मक प्रयोग

जैसे कि सकारात्मक प्रयोग के अंदर बात करें तो ऐतिहासिक क्षेत्र होती है। जो जो हिस्टोरिकल लोग है, उनकी बहुत सारी तस्वीरें हमारे पास मौजूद नहीं है। लेकिन डी पे कस्टमर करते हुए उनकी बहुत सारी तस्वीरें बनाई जा सकती ह

डीपफेक कोई वीडियो तैयार की जाती है तो आप उस वीडियो को कैसे पहचानें

तो सबसे पहले अगर बात करें तो आपको की मूवमेंट को देखेंगे। आँखों की जरूरत नहीं है, आप उसको देखेंगे क्योंकि जब आप प्रकृति की बात करते हैं, नैचरल मूवमेंट की बात करते हैं तो आप की आँखों में मुख्य तौर पर सुचारू गति देखने को मिलती है और आपकी आँखों और आपकी जो औंस है इसके अलावा आपकी ऐक्टिविटीज़ है, जो एक्शन्स हैं, उनके बीच को ऑर्डिनेशन होता है, होता है। लेकिन जब हम दी फेक की बात करते हैं

तो डीपफेक में आपको अपराध प्राकृतिक आँखों का जो मूवमेंट है वो देखने को मिलेगा, अननैचरल मूवमेंट होगा। आपकी जो वौइस् है और आपके जो काम है उसके बीच को ऑर्डिनेशन ज्यादा देखने को नहीं मिलेगा। ये सबसे पहला संकेत हुआ

। सबसे बड़ा संकेत है कि आप इतने को कैसे पहचान सकते हैं। इसके अलावा जो रंग और लाइट होता है, जो कलर होता है जो कलर होता है। इसके अलावा लाइटिंग होती है डी पे की वो भी थोड़ी अलग होती है क्योंकि डीपफेक में सटीक रंग प्राप्त करना सटीक लाइट प्राप्त करना कंपैरटिव्ली बड़ा मुश्किल होता है।

इससे बड़ा चुनौतीपूर्ण माना जाता है। तो आप इसके माध्यम से अगर किसी तस्वीर का कोई हिस्सा थोड़ा सा लगे हैं, उसकी लाइफ थोड़ी सी लगी है, उसका रंग थोड़ा सा लगे हैं तो इसके माध्यम से भी आप किसी तस्वीर को पहचान सकते हैं।

इसके अलावा आवाज की गुणवत्ता के आधार पर भी आप पहचान सकते हैं क्योंकि अक्सर डिफेक्ट टेक्नोलॉजी से बनी जो वि डी यूज़ होती है। इसमें एआई की औंस का इस्तेमाल किया जाता है और एआइ की रौशनी औसत थोड़ी सी अलग होती है।

तो अगर आप थोड़ा सा ध्यान दें उस आवाज़ पर तो आप आवाज़ को भी आसानी से पहचान सकते हैं। इसके अलावा अगर आप चेहरे को देखेंगे चेहरे के हाव भाव होते है उसमें आपको आर्टिफिशियल जैसी कोई चीजें दिखाई देंगी वो आपको दिखाई दी जाएगी। तो इसके आधार पर भी आप आर्टिफिशियल इन्टेलिजेन्स से बने या फिर? टेक्नोलॉजी से बनी किसी की तस्वीर को किसी वीडियो को पहचान सकते हैं

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